तुलनात्मक विश्लेषण
राजस्थान के चार प्रमुख भौतिक विभाजनों का एक त्वरित दृश्य। यह खंड क्षेत्रफल और जनसंख्या के वितरण को दर्शाता है, जिससे आपको प्रत्येक क्षेत्र के पैमाने और महत्व को समझने में मदद मिलती है। नीचे दिए गए चार्ट्स के साथ इंटरैक्ट करके प्रत्येक विभाजन की प्रमुख विशेषताओं का अन्वेषण करें।
क्षेत्रफल के अनुसार विभाजन (%)
जनसंख्या के अनुसार विभाजन (%)
विशेषता | पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश | अरावली पर्वतीय प्रदेश | पूर्वी मैदानी प्रदेश | दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश |
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निर्माण का समय | चौथा प्राचीन | सबसे प्राचीन | तीसरा प्राचीन | दूसरा प्राचीन |
युग | उत्तर प्लीस्टोसीन | प्री-कैंब्रियन | प्रारंभिक प्लीस्टोसीन | क्रिटेशियस |
अवशेष | टेथिस सागर | गोंडवाना लैंड | टेथिस सागर | गोंडवाना लैंड |
वर्षा | 0-40 cm | 40-60 cm | 60-80 cm | 80-120 cm |
पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश
यह राजस्थान का सबसे बड़ा भौतिक प्रदेश है, जो राज्य के 61% से अधिक क्षेत्र को कवर करता है। यह अपनी अनूठी स्थलाकृति, शुष्क जलवायु और समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है। नीचे दिए गए टैब का उपयोग करके इसके शुष्क और अर्द्धशुष्क क्षेत्रों का अन्वेषण करें।
अरावली पर्वतीय प्रदेश
विश्व की सबसे प्राचीन वलित पर्वतमालाओं में से एक, अरावली राजस्थान को दो भागों में विभाजित करती है और यह खनिजों, वनों और कई नदियों के उद्गम का स्रोत है। नीचे दिए गए बटनों का उपयोग करके अरावली की विभिन्न श्रेणियों की सबसे ऊंची चोटियों का अन्वेषण करें।
अरावली की प्रमुख चोटियाँ
पूर्वी मैदानी प्रदेश
नदियों द्वारा लाई गई उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी से निर्मित, यह प्रदेश राजस्थान का ‘खाद्यान्न का कटोरा’ है। यह राज्य का सबसे सघन आबादी वाला क्षेत्र है। नीचे इस क्षेत्र के प्रमुख नदी बेसिनों के बारे में और जानें।
चंबल बेसिन
सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर में विस्तृत। यह क्षेत्र अपनी ‘डांग’ (उत्खात स्थलाकृति) और ‘बीहड़’ (गहरी घाटियों) के लिए प्रसिद्ध है।
छप्पन/माही बेसिन
बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, डूंगरपुर में माही नदी का प्रवाह क्षेत्र। इसमें ‘छप्पन का मैदान’ और ‘कांठल का मैदान’ शामिल हैं।
बनास बेसिन
बनास और उसकी सहायक नदियों द्वारा निर्मित। यह कृषि के लिए उपयुक्त जलोढ़ मिट्टी के लिए जाना जाता है।
बाणगंगा बेसिन
जयपुर, दौसा, डीग, भरतपुर में बाणगंगा नदी द्वारा निर्मित मैदान।
दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश
‘हाड़ौती का पठार’ के रूप में भी जाना जाने वाला यह क्षेत्र मालवा पठार का एक हिस्सा है और अपनी काली मिट्टी और विशिष्ट भूवैज्ञानिक संरचनाओं के लिए प्रसिद्ध है। इसके दो मुख्य भागों का अन्वेषण करें।
विंध्यन कगार भूमि
करौली, धौलपुर, सवाईमाधोपुर में फैला यह क्षेत्र बलुआ पत्थर से निर्मित है। इसमें शाहबाद उच्च क्षेत्र और रामगढ़ क्रेटर जैसी संरचनाएं शामिल हैं।
दक्कन लावा पठार
कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ में फैला यह क्षेत्र लावा निर्मित है। मुकुंदरा की पहाड़ियां और बूंदी की पहाड़ियां इसका हिस्सा हैं।
राजस्थान के प्रमुख पठार
(सिरोही, सबसे ऊंचा)
(उदयपुर-राजसमंद)
(सिरोही)
(चित्तौड़गढ़)
(सलूंबर)
(चित्तौड़गढ़-भीलवाड़ा)
(चित्तौड़गढ़)
(उदयपुर-डूंगरपुर)